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शोएब की सांसें फूलीं, हांफने लगे इंजमाम, अकेले 740 मिनट तक पाकिस्तान को दौड़ाता रहा ये खिलाड़ी


कहते हैं न कि ‘ओल्ड इज अल्वेज गोल्ड’. यानी युवा खिलाड़ियों की भीड़ के बीच कुछ ऐसे दिग्गज क्रिकेटर रहे हैं जिन्होंने अपने-अपने जमाने में एक नई क्रिकेट से दुनिया का परिचय करवाया है. इन खिलाड़ियों में कुछ के नाम तो हर बच्चा जानता है. ये लीजेंड खिलाड़ी हैं. इन्हीं में से एक खिलाड़ी हैं जो अपनी प्रतिद्वंद्वी टीम के गेंदबाजों को पस्त कर दिया करते थे. दुनिया के दिग्गज गेंदबाज उनको बॉल डालते थे और वह बड़े इत्मिनान से उसे मैदान के किसी कोने में भेज दिया करते थे. इस खिलाड़ी की तकनीक का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि एक मैच में अपने दौर में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज रहे पाकिस्तान के शोएब अख्तर गेंदबाजी करते-करते पस्त हो गए, लेकिन इस खिलाड़ी पर कोई असर नहीं हुआ.

उस मैच से भारत के भविष्य का सितारा मिला था. उस सितारे ने पूरे 12 घंटे और 20 मिनट तक बल्लेबाजी की थी. उसने 495 गेंदों का सामना कर 270 रन बनाए और इसके साथ ही उसने भारत के टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में एक खास अध्याय जोड़ दिया. इस खिलाड़ी की बदौलत टीम इंडिया ने वह कारनाम कर दिया जो दशकों से यह टीम नहीं कर पाई थी.

दरअसल, आज हम बात कर रहे हैं पूरे दो दशक पहले 2004 में 13 से 16 अप्रैल के बीच खेले गए एक टेस्ट मैच की. भारत और पाकिस्तान के बीच तीन मैचों का एक टेस्ट सीरीज हुआ था और उसकी मेजबानी पड़ोसी देश ने की थी. रावलपिंडी में खेले गए इस तीसरे मैच के साथ भारत वह सीरीज 2-1 से जीत लिया था. पाकिस्तान की धरती पर भारत की यह पहली टेस्ट सीरीज जीत थी.

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लेकिन, हमारी स्टोरी इस टेस्ट सीरीज में मिली जीत पर नहीं है. हम इस मैच से भारत को मिले ‘द वॉल’ के बारे में बात कर रहे हैं. अब तक आप समझ ही गए होंगे कि हम जिस ‘द वॉल’ की बात कर रहे हैं वो कौन है. वहीं खिलाड़ी जिसने आईपीएल टूर्नामेंट शुरू होने के वक्त राजस्थान रॉयल्स की कप्तान की फिर लंबे समय तक उसका कोच और मेंटॉर रहे. जी हां, अपना राहुल द्रविड़. वही राहुल द्रविड़ जिन्हें टीम इंडिया की दीवार यानी द वॉल कहा जाता है. लेकिन, हम आपको उन्हें इस निक नेम से क्यों और कब से जाना जाता है, आज यही बता रहे हैं.

ऐसे मिला ‘द वॉल’
राहुल द्रविड़ को पहली बार ‘द वॉल’ कब और कहां कहा गया, इसको लेकर पुख्त तौर पर तो दावे नहीं किए जा सकते, लेकिन उनके बारे में एक अखबार ने अपनी हेडिंग लगाई थी ‘द वॉल’. उसी से उनको ‘द वॉल’ कहा जाने लगा. संभवतः यह हेडिंग रावलपिंडी टेस्ट में खेले गए उनकी शानदार और बेहद प्रभावी पारी के बाद ऐसा लिखा गया. हमने ऊपर में ही उस मैच का जिक्र कर दिया है. उस मैच को भारत ने एक पारी और 131 रनों से जीता था. यह पाकिस्तान की एक शर्मनाक हार थी. उस मैच में पाकिस्तान के कैप्टेन महान बल्लेबाज इंजमाम उल हक थे जबकि मुख्य गेंदबाद रावलपिंडी एक्सप्रेस के नाम से मशहूर शोएब अख्तर थे. भारतीय टीम की कप्तानी सौरव गांगुली के हाथों में थी.

भारत ने पहली पारी में 600 रनों का पहाड़ खड़ा किया था. लेकिन, इस पारी में वीरेंद्र सहवाग शून्य और सचिन तेंदुलकर एक रन बनाकर आउट हो गए. अकेले 12 घंटे से अधिक समय राहुल द्रविड़ ने बल्लेबाजी की थी. उनके साथ सौरव गांगुली ने 77 और वीवीएस लक्ष्मण ने 71 रनों का योगदान दिया था. पार्थिव पटेल ने 69 और युवराज सिंह ने 47 रनों की पारी खेली थी.

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सबसे बेहतरीन पारी
भारतीय क्रिकेट इतिहास में यह मैच इस बड़ी जीत से बढ़कर टीम इंडिया को मिले ‘द वॉल’ के लिए जाना जाता है. इसके बाद से राहुल द्रविड़ ने कई शानदार पारियां खेलीं. ऑस्ट्रेलिया में उनकी खेली पारी टेस्ट क्रिकेट की अब तक की सबसे बेहतरीन पारियों में शुमार की जाती है. 2003 में ही 12 से 16 दिसंबर के बीच राहुल द्रविड़ ने यह यादगार पारी खेली थी. बॉडर-गावस्कर ट्राफी के दूसरे मैच को टीम इंडिया एक तरह से हार गई थी. लेकिन, राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण की शानदार पारियों की वजह से टीम इंडिया जीत गई थी.

इस मैच में राहुल ने 446 गेंदों पर 233 रन बनाए थे. लक्ष्मण ने 148 रनों की पारी खेली थी. इसके बावजूद पहली पारी में भारत पिछड़ गया था. लेकिन दूसरी पारी में भारतीय गेंदबाजों ने कमाल किया और ऑस्ट्रेलियाई टीम को 196 पर समेट दिया. दूसरी पार में भी राहुल ने नॉट आउट 72 रनों की पारी खेली. ऐसी ही कई महान पारियों की वजह से राहुल द्रविड़ को टीम इंडिया का द वॉल कहा जाने लगा.

Tags: Indian Cricketers, Rahul Dravid

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Author: Jharkhand Nama

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