कड़ाके ठंड के बीच समाजसेवी लुत्फुल हक ने 530 गरीबों को बांटे कंबल और टोपी
झारखंड नामा /अमित कुमार दास /पाकुड़ /पाकुड़ कड़ाके की ठंड के बीच समाजसेवी लुत्फुल हक का कंबल और टोपी वितरण लगातार जारी है। असहाय गरीबों को राहत दिलाने के लिए समाजसेवी लुत्फुल हक गरीबों के बीच जाकर उन्हें गर्म कपड़े बांट रहे हैं। यह सिलसिला पिछले करीब एक महीने से लगातार जारी है। इधर मंगलवार को भी उन्होंने कुलापहाड़ी खेल मैदान में 530 गरीबों को कंबल वितरण कर ठंड से राहत पहुंचाने का काम किया। उन्होंने संग्रामपुर, कुमारपुर, रानीपुर, कालिदासपुर, नरोत्तमपुर आदि गांवों के जरूरतमंदों को कंबल और टोपी मुहैया कराया। आयोजित कंबल वितरण समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में समाजसेवी लुत्फुल हक के साथ हबिबुर रहमान, जलालुद्दीन शेख, सलीम शेख, मानिक हांसदा एवं असगर अली आदि मौजूद थे। इस दौरान अतिथियों ने समाजसेवी लुत्फुल हक की सराहना करते हुए कहा कि हम इनके नेक कार्यों से काफी प्रभावित हैं। इनके दीर्घायु और बेहतर स्वास्थ्य की कामना करते हैं। अतिथियों ने कहा कि ऐसे नेक व्यक्ति को अल्लाह ताला और भी बरकत दें। ताकि अधिक से अधिक गरीबों का भला कर सकें।कहा कि समाजसेवी लुत्फुल हक के एक बात से हम काफी ज्यादा प्रभावित हुए कि लुत्फुल हक जी कहते हैं कि मेरा कुछ भी नहीं है। मैं तो बस अपनी सुकून के लिए करता हूं। मुझे गरीबों की मदद करने से सुकून मिलता है। मेरा कुछ भी नहीं है, सब कुछ अल्लाह ताला का दिया हुआ है। अतिथियों ने यह भी कहा कि लुत्फुल हक जी के इस सोच विचारधारा ने हमें काफी प्रभावित किया है। कहा कि शायद ही ऐसा कोई गांव मोहल्ला बचा होगा, जहां उनकी नजर ना गया हो। यह भी कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि चुनाव लड़ने के लिए लुत्फुल हक जी यह सब कर रहे हैं। लेकिन लुत्फुल हक जी का कहना है कि उन्हें राजनीति से कोई मतलब नहीं है। वहीं समाजसेवी लुत्फुल हक ने कहा कि मेरा बचपन गरीबी में गुजारा है। मैं गरीबों को काफी नजदीक से देखा हूं। मुझे भूखे पेट सोने का दर्द आज भी महसूस होता है। अल्लाह ताला ने मुझे गरीबों की मदद के लायक बनाया है। मुझे गरीबों की सेवा का अवसर दिया है। मैं बस इसी सोच के साथ जरूरतमंद लोगों की सेवा करना चाहता हूं कि कोई भी भूखा पेट नहीं सोए। कोई भी व्यक्ति ठंड से परेशान ना रहे। मुझे आप सबों से दुआ और आशीर्वाद चाहिए। वहीं कंबल और टोपी वितरण समारोह में लाभुकों के चेहरे पर मुस्कान देखी गई। लाभुकों ने समाजसेवी लुत्फुल हक को बेहतर स्वास्थ्य और दीर्घायु की दुआएं दे
पाकुड़ ज़िलें के कर्मठ और मददगार समाजसेवी की लोकप्रियता दिन दुगुनी रात चौगुनी बरक्कत दे यही असहाय और वृद्ध की दुआ थी