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पुरातन चिकित्सा पद्धति से जुड़े आदीवासी वैद्यों के बीच प्रमाण पत्र का वितरण किया गया

विश्व आदिवास दिवस के अवसर पर पिरामल संस्थान द्वारा जड़ी बूटी आधारित पुरातन चिकित्सा पद्धति से जुड़े आदीवासी वैद्यों के बीच प्रमाण पत्र का वितरण किया गया

प्रखण्ड के लिट्टीपाड़ा पंचायत भवन में बुधवार को लिट्टीपाड़ा पंचायत के मुखिया शिव टुडू के अध्यक्षता में विश्व आदिवास दिवस के अवसर पर पिरामल संस्थान द्वारा जड़ी बूटी आधारित पुरातन चिकित्सा पद्धति से जुड़े आदीवासी वैद्यों के बीच प्रमाण पत्र का वितरण किया गया। विदित हो कि इन वैद्यों के ज्ञान, परंपराओं और विधाओं में क्रमशः सामान्य बीमारी, पिलिया(जौंडिस), गठिया और हड्डी जोड़ के पद्धति से जुड़े जड़ी बूटी आधारित पारंपरिक चिकित्सकों का मूल्यांकन क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया तथा उनके अधिकृत निकाय ट्रांस डिसिप्लिनरी यूनिवर्सिटी बंगलौर के संयुक्त दल द्वारा जनवरी 2024 में संपन्न किया गया था। सभी वैध परिक्षा के विभिन्न चरणों से होकर गुजरे जिनमे से मुख्यतः मौखिक परीक्षा, प्रायोगिक परीक्षण, स्थान का सत्यापन, इलाज करने के तरीकों का आंकलन, मरीजों और जड़ी बूटियों के प्रलेखन आदि के माध्यम से होकर गुजरना पड़ा। इस परीक्षा में पास करने वाले वैद्यों को यह प्रमाण पत्र दिया गया है। प्रमाण पत्र पांच वर्षो के लिए मान्य है।इन सभी को अपने अपने प्रतिष्ठान में लगाना अनिवार्य है। इस पूरे प्रक्रिया को पिरामल स्वास्थ्या के द्वारा वित्तीय और तकनीकी सहयोग प्रदान किया गया है । इस अवसर पर पिरामल संस्थान के संथाल परगना मंडलीय प्रतिनिधि तुहीन बनर्जी ने कहा कि यह उपचार पद्धति बहुत ही पुरातन है,जिसकी समृद्धि हेतु जड़ी बूटियों का संरक्षण बहुत ही जरूरी है । वैद्य अपने उपचार व्यवस्था को गति देने के लिए स्वरोजगार हेतु बैंकों से ऋण भी ले पाएंगे। झारखंड में अब तक प्रथम राउंड में कुल 193 वैद्यों को प्रमाणित किया जा चुका है। मौके पर पिरामल संस्थान के जिला प्रबंधक मो सनीफ अंसारी, मनोज महतो, गांधी फेलोज़ अफरोज आफरीन,तुली, सोनिका और सभी प्रमाणित वैद्य मौजुद थे।

 (झारखंड नामा संवाददाता लिट्टीपाड़ा )

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Author: Jharkhand Nama

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