बांग्लादेशी घुसपैठिया आदिवासियों की बेटियों को जाल मे फंसा कर उनके साथ अवैध सम्बन्ध बनाकर उनकी जमीन हथिया कर पहाड़ पत्थर कोयला पर कर रहे है राज
मांझी परगना महासम्मेलन में भाग लेने पहुंचे चंपाई लोबिन और सीता
झारखंड नामा संवाददाता पाकुड़: कोल्हान टाइगर के व पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने कहा कि संथाल परगना के आदिवासियों की सामाजिक व्यवस्था, सभ्यता और संस्कृति को बचाने के लिए एक और संथाल हुल की जरूरत है, आज जिस प्रकार से संथाल परगना में आदिवासियों को यहां उनकी जमीन हड़पी जा रही है, उन्हें उनकी संपत्ति से बेदखल किया जा रहा है, तो ऐसे में 1855 में हुए संथाल विद्रोह आंदोलन की की आगाज करने की जरूरत अब आप पड़ी है ।श्री सोरेन सोमवार को लिटीपारा विधानसभा क्षेत्र के डांगा पारा फुटबॉल मैदान में आयोजित मांझी परगना महान सम्मेलन को संबोधित करते हुए उक्त बातें कही। कहा कि इतनी बारिश और मौसम खराब के बीच यहां उपस्थित जन सैलाब कह रहा है कि आज आदिवासियों का अस्तित्व खतरे में है और उसे बचाने की जरूरत है। आज संथाल परगना में जमाई टोला बसाया जा रहा है। आदिवासी बेटी, बहू के सम्मान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है ।उनकी जमीन को हड़प कर उन्हें घर गांव से बेदखल किया जा रहा है ।अब हमारा संथाल समाज इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेगा। बांग्लादेशी घुसपैठ यहां अपनी पैर जमाने में लगी हैं, यहां के भोले भाले आदिवासियों को उनकी जमीन को हड़पकर उन्हें ही बेदखल किया जा रहा है। इन सब मुद्दों की बहुत जल्द जांच कराई जाएगी। संथाल समाज यहां इन मुद्दों को लेकर एक बहुत जल्द आंदोलन करेगी। कहा कि संथाल परगना की सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए हम एक बार फिर लड़ाई लड़ेंगे। समाज की संस्कृति ,सभ्यता की पहचान बनाए रखने के लिए हम सबको एकजुट होकर आदिवासी मूलवासी को अपनी जान ,माल के साथ-साथ अपनी अस्मिता को बचाना है।आदिवासी की संस्कृति और सभ्यता को बचाने के लिए आंदोलन करना होगा ,, लोबिन.महासम्मेलन को बोरियों के पूर्व विधायक लोबिन हेंब्रम ने संबोधित करते हुए कहा कि हेमंत सरकार ने साढ़े साल में स्थानीय नीति नहीं बनाया, जिसका परिणाम है कि आज यहां की युवा बेरोजगार बैठे हैं, मजदूरी का काम करने दूसरे प्रदेशों में जाना पड़ रहा है। आज हमारी जमीन मनमाने भाव में खरीद कर हमारी संस्कृति को उजाड़ा जा रहा है ,जब तक हमारा जमीन नहीं बचेगा हमारी संस्कृति और सभ्यता भी नहीं बचेगी। ऐसी स्थिति में हमें समाज को संगठित कर एक सामाजिक लड़ाई लड़ने की जरूरत है। एसपीटी एक्ट के प्रावधानों को कड़ाई से पालन कराना होगा तभी हमारा जल, जंगल और जमीन बचेगा । सम्मेलन को जामा की पूर्व विधायक रही सीता सोरेन ने संबोधित करते हुए कहा कि हेमंत सोरेन की सरकार झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ को संरक्षण देकर अपना वोट बैंक बना रही है। यहां बड़ी-बड़ी कंपनी खोली जा रही है लेकिन रोजगार यहां के लोगों को नहीं मिल रहा है। साढ़े चार साल की हेमंत की सरकार में विकास तो कुछ हुआ नहीं ,लेकिन यहां सिर्फ यहां के मुख्यमंत्री और मंत्रियों का ही विकास हुआ है।संथाल में बांग्लादेशी घुसपैठ को बढ़ावा दे सरकार अपना वोट बैंक बना रही है : सीता सोरेन झामुमो को संथाल में खड़ा करने वाले लोबिन हेंब्रम जैसे नेता को आज अपमानित किया गया, कोल्हान टाइगर कहे जाने वाले चम्पाई सोरेन को भी अपमानित किया गया उन्होंने कहा कि यहां के आदिवासी ,मूलवासी को कैसे बचें उनका संरक्षण हो, हमें चिंता करने की जरूरत है। आज यहां की सरकार कोई विकास का काम नहीं कर रही है क्योंकि सरकार को दलाल किस्म के लोग चल रहे हैं। पाकुड़ में माइनस मिनरल का अकूत भंडार है कोयला, पत्थर की खदानें चल रही है। लेकिन विस्थापित, प्रभावित लोगों को के लिए न तो एक स्कूल बनाया गया ना तो एक अस्पताल बना। उन्हें आज पीने का पानी की भी समुचित व्यवस्था नहीं की गई है। यहां के नेता सिर्फ कंपनी से अपनी जेब भरने का काम कर रहे हैं। सम्मेलन को दुर्गा मरांडी, बाबूधन मुर्मू, प्रोफेसर निर्मल मुर्मू, श्याम दे हेंब्रम, विकास गौड़, गमलियम हेंब्रम ने भी संबोधित किया। सम्मेलन का संचालन अध्यक्ष निर्मल टुडू के अध्यक्षता में संपन्न हुआ। सम्मेलन स्थल पर अतिथियों का स्थानीय लोगों ने नृत्य , गान के साथ भव्य तरीके से स्वागत किया।