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जालसाजी के मामले में तुलसी गिरफ्तार।

जालसाजी के मामले में तुलसी गिरफ्तार।बैंक की श्रृण राशि में भारी घाल मेल का है आरोप उच्च न्यायालय खारिज कर चुका है अग्रिम जमानत की अर्जी

झारखंड नामा संवाददाता गिरिडीह : जालसाजी एवं ऋण राशि मे घपला बाजी में गिरिडीह मुफस्सिल थाना की पुलिस ने आज यहां तुलसी गोस्वामी नमक अभियुक्त को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।इसके पूर्व इस मामले में उक्त अभियुक्त की अग्रिम जमानत अर्जी झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा भी खारिज किया जा चुका है। इस मामले में अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी ने अभियुक्त के विरुद्ध गैर जमानतीय वारंट एवं उद्घोषणा जारी कर चुकी है। उल्लेखनीय है कि इस मामले में न्यायालय द्वारा नियुक्त समापक दौलत राम जैन ने अभियुक्त अमित सरावगी एवं तुलसी गोस्वामी के विरुद्ध न्यायालय में एक परिवाद पत्र दायर किया था ।जिसे कोर्ट ने प्राथमिक दर्ज करने के लिए गिरिडीह मुफस्सिल थाना को आदेश दिया था।न्यायालय के आदेश के बाद गिरिडीह मुफस्सिल थाना में उक्त दोनों अभिलेखों के विरुद्ध गिरिडीह मुफस्सिल थाना कांड संख्या 393/ 2023 दर्ज किया गया था। यह मामला ठगी ,जालसाजी और धोखाधड़ी से जुड़ा हुआ है। सूत्रों ने बताया कि अभियुक्त अमित सरावगी और उनके पिता जी की कंपनी श्री वीर इस्पात प्राइवेट लिमिटेड ने भारतीय स्टेट बैंक से कर्ज लिया था। समय पर बैंक का कर्ज नहीं चुका पाने के कारण उनका खाता एनपीए हो गया ।सूत्रों ने यह भी बताया कि कर्ज लेने के समय अभियुक्त अमित सरावगी के पिता ने बैंक के पास अपना करीब 101 एकड़ जमीन गिरवी रखा था। बैंक की कर्ज की राशि नहीं चुका पाने के कारण इस मामले में बैंक के पास बंधक रखी गई 101 एकड़ जमीन नीलाम कर दी गई। नीलामी में उक्त जमीन को कार्बन रिसोर्सेस प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी ने खरीदा है।समापक दौलत राम जैन की शिकायत है कि अभियुक्त ने बैंक की राशि को हड़पने के लिए एक जाली इकरारनामा तैयार किया और जो जमीन बैंक के पास कर्ज के एवज में गिरवी रखा गया था ।उसे सह अभियुक्त तुलसी गोस्वामी के नाम पर एक अनिबंधित 30 वर्ष का लीज कर दिया गया। उक्त लीज में कई तरह की जलसाजी और गड़बड़ी प्रथम दृष्ट या अनुसंधान के दौरान साबित हुआ है ।पुलिस सूत्रों का कहना है कि जिस एकरारनामा को 15 जनवरी 2011 को तमिल किया गया बताया जा रहा है। और जिस स्टांप पर वह एकरारनामा तैयार किया गया है उस स्टांप को गिरिडीह के जिला कोषागार से दिसंबर 2011 में निकल गया है। इससे यह स्वत स्पष्ट हो जाता है कि उक्त एकरारनामा को बेक डेटिंग कर बनाया गया है।उक्त इकरारनामा में जो गवाह है, उन दोनों साक्षियों ने भी पुलिस के समक्ष शपथ पत्र दायर कर यह कहा है कि 2011 में उन लोगों ने ऐसे किसी दस्तावेज़ पर अपना हस्ताक्षर नहीं किया है। बल्कि अभियुक्त अमित सरावगी ने बर्ष 2022 में हम लोगों से एक स्टांप वाली कागज पर सही कराया ।और यह बताया भी नहीं गया कि उक्त स्टांप पर क्या लिखा हुआ है। ऐसे अन्य कई सारी गड़बड़ी अनुसंधान के दौरान सामने आई जिसके बाद वरीय पुलिस अधिकारियों ने मामले को सत्य पाते हुए अभियुक्त की गिरफ्तारी का निर्देश दिया था। उक्त आलोक में न्यायालय ने भी अभियुक्तों के विरुद्ध गैर जमानती है वारंट और उनकी गिरफ्तारी हेतु अन्य प्रक्रिया जारी किया है ।अभियुक्त ने इसके पूर्व अपने ओर से अग्रिम जमानत याचिका दायर किया था ।जिसे गिरिडीह के न्यायाधीश और झारखंड उच्च न्यायालय ने भी खारिज कर दिया। इसके बाद से अभियुक्त दोनों फरार चल रहे थे ।जिसमे एक अभियुक्त को मंगलवार को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है ।उनकी गिरफ्तारी के बाद अभियुक्त अमित सरावगी के ऊपर भी गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है। पुलिस सर गर्मी से उनकी तलाश कर रही है। अभी अमित सरावगी फरार बताए जाते हैं ।

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Author: Jharkhand Nama

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